सोमवार, 27 दिसंबर 2010

जीसस क्राइस्ट की सौगंध - १

सोसाइटी ऑफ जीसस
 
१५ अगस्त का स्थान भारत के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण है. किन्तु इस लेख में जिस १५ अगस्त का उल्लेख कर रहा हूँ वो है सन १५३४ की. इस दिन पैरिस नगर के बाहर मौन्त्मर्तरे में सात व्यक्तियों की एक बैठक हुई थी जो आज हिन्दू सभ्यता को प्रभावित कर रही है. इन सातों का मुखिया था स्पेन में जन्मा इग्नाशिअस लोयोला और अन्य छः पैरिस विश्व विद्यालय के छात्र थे. ये थे फ्रांसिस्को ज़ेविअर, अलफोंसो सल्मेरोन, डिएगो लैनेज़, निकोलस बोबडिल्ला, पीटर फेबर और सीमाओं रोद्रिगुएज़. 
इस बैठक में इन्होने चर्च की कार्यवाही के लिए एक रूपरेखा तैयार की और १५३७ में उस समय के पोप पॉल त्रित्तिय  से मिलने इटली गए. पोप ने इस की सराहना की और इन सब को पादरी नियुक्त कर दिया. इन्होने जब परियोजना पारित करने के लिए प्रस्तुत की तो कुछ माह तक विवाद चलने के उपरान्त मंडल ने प्रस्तुत संविधान के प्रति अनुकूल मत दिया. पोप ने इस आशय का आदेश २७ सितम्बर, १५४० को दे दिया. इसके अनुसार, सदस्यों की संख्या ६० तक सीमित कर दी गयी. ये सीमा तीन वर्ष बाद हटा दी गयी और इग्नाशिअस लोयोला को इस का प्रथम सुपीरिअर नियुक्त किया गया. उस ने अपने साथियों को मिशनरियों के रूप में यूरोप के विभिन्न प्रदेशों में विद्या संस्थान स्थापित करने के लिए भेजा.
१५५४ में इग्नाशिअस का लिखा हुआ जो संविधान सोसायटी के लिए अपनाया गया, वो केन्द्रीकृत था और उसके अनुसार पोप और सुपीरिअरों की आज्ञा मानने के कठोर प्रावधान थे. इसका अनुशासन सेना की एक टुकड़ी की भांति था, इसलिए इस सोसायटी को आर्मी ऑफ लोयोला अर्थात लोयोला की सेना भी कहा जाता है.


इसके सदस्यों को जेसुइट कहा जाता है. यदि आप चूक गए हैं तो एक बार ध्यान से लोयोला के साथियों के नाम देखिये, जिन में से एक था सेंट फ्रांसिस जेविअर, जिस के नाम से भारत में कई विद्यालय, महाविद्यालय और हस्पताल चलते हैं. जैसा कि आगे हम देखेंगे कि ये सभी संस्थान पोप और चर्च के आदेशानुसार ही कार्य करते हैं. 
इन इसाई पादरियों को एक शपथ दिलाई जाती है जो मेरे इस लेख का विषय है. चलिए इस शपथ ग्रहण समारोह का अवलोकन करते हैं.

शपथ समारोह का दृश्य 

जब भी किसी छोटे स्तर के जेसुइट को इस योग्य समझा जाता है कि वो अधिक दायित्व संभाल सकता है तो उसे अपने मत के गिरजाघर में शपथ दिलाई जाती है, जिस में उसके अतिरिक्त तीन और व्यक्ति अपस्थित होते हैं. सुपीरिअर पूजा की वेदी के सामने खड़ा होता है. दोनों ओर दो पादरी खड़े होते हैं, जिन में से एक के हाथ में पीला और सफ़ेद रंग का, जो कि पोप के रंग हैं, ध्वज होता है और दूसरा काले रंग का ध्वज पकडे रहता है जिस में दो हड्डियों और खोपड़ी के ऊपर एक कटार और लाल रंग का क्रॉस बना होता है, इसके नीचे लिखा होता है INRI, जिस के नीचे एक वाक्य लिखा होता है IUSTUM NECAR REGES IMPIUS.

भूमि पर एक लाल रंग का क्रॉस बना होता है, जिस पर प्रार्थक (postulant) अथवा प्रत्याशी (candidate) घुटनों के बल बैठता है. सुपीरिअर उसे एक काले रंग का छोटा क्रॉस थमाता है, जिसे वो अपने बाएं हाथ में लेकर अपने ह्रदय से छुआता है, इसके साथ ही सुपीरिअर (superior) उसे एक कटार देता है जिसे वो नोक से पकड़ कर अपने ह्रदय पर लगाता है जब कि कटार का हत्था सुपीरिअर के हाथ में ही रहता है. इस मुद्रा में सुपीरिअर बोलना आरम्भ करता है.
postulant - a candidate, esp. for admission into a religious order अर्थात किसी सम्प्रदाय में प्रवेश पाने का इच्छुक व्यक्ति.


सुपीरिअर का उदबोधन 

सुपीरिअर (मुख्य पादरी) कहता है:
मेरे पुत्र, अब तक तुम्हें सिखाया गया कि किस प्रकार पाखण्ड (dissembler) करना है: रोमन कैथोलिकों में रोमन कैथोलिक की भांति, अपने सगे सम्बन्धियों में एक गुप्तचर (spy) की भांति; किसी पर भरोसा नहीं करना; किसी पर विशवास नहीं करना. सुधारकों में सुधारक की भांति, हुगुएनोटों  में  एक हुगुएनोट (huguenot) की भांति; कल्विनिसटों (काल्विनिस्ट) में कल्विनिस्ट की भांति; प्रोटेस्टेंटों (protestant) में प्रोटेस्टेंट की भांति; व्यवहार कर के उनका विश्वास अर्जित करना; यहाँ तक कि उनके पवित्र स्थानों से उनके उपदेश देना, अपने पवित्र सम्प्रदाय की और पोप की कठोरतम शब्दों में निंदा करना; यहूदियों के स्तर तक गिर कर यहूदियों जैसा व्यवहार करना ताकि तुम इस योग्य बन जाओ कि वो सारी जानकारी एकत्रित कर सको जो कि तुम्हारे सम्प्रदाय के लिए लाभदायक हो जिसके लिए तुम पोप के निष्ठावान सैनिक बने हो. 
पाखण्ड - शपथ में जो मूल शब्द है, वो हैं act as dissembler, अर्थात dissemble करना. इस शब्द का शब्द कोष के अनुसार अर्थ है “(used with object) to give a false or misleading appearance to; conceal the truth or real nature of or (used without object) to conceal one‟s true motives, thoughts, etc., by some pretence; speak or act hypocritically” अर्थात एक भ्रामक दृश्य प्रस्तुत करना, सत्य को छिपाना अथवा छल कपट से अपने सच्चे उद्देश्य को छिपाना.
गुप्तचर - शपथ में जो मूल शब्द है, वो है spy. इसके अनुवाद हैं - जासूस, गुप्तचर, भेदिया, मुख़बिर
huguenot, calvinist, protestant - इसाई सम्प्रदाय के अन्य मत.
तुम्हें सिखाया गया है कि किस प्रकार गुप्त रूप से उन सम्प्रदायों, प्रान्तों और राष्ट्रों में घृणा और इर्ष्या के बीज डालने हैं जो शान्ति से रह रहे हैं. किस प्रकार उन्हें उकसाना है कि वो एक दूसरे का रक्त बहायें, उन्हें एक दूसरे से युद्ध करवाना है. जो राष्ट्र स्वतंत्र और वैभवशाली हैं, विज्ञान और कला का विकास कर रहे हैं और शान्ति का आनंद ले रहे हैं उनमें कलह और गृहयुद्ध करवाना है; लड़ने वालों का साथ देना है और गुप्त रूप से अपने उन इसाई भाईओं का साथ देना है जो दूसरी ओर से लड़ रहे हों, और खुले रूप से उनके विरोध में हों जिनका साथ तुम दे रहे हो, ताकि अंततः चर्च को लाभ हो, उन नियमों से जो शान्ति की संधि के लिए अपनाए जाएँ . परिणाम के लिए क्या रास्ता चुना जाए, ये महत्त्व नहीं रखता.
तुम्हें एक गुप्तचर के रूप में तुम्हारा कार्य समझा दिया गया है; सारी जानकारी और आंकड़े एकत्रित करना जो सामर्थ्य के अनुसार तुम सभी स्त्रोतों से कर पाओ; अपने आप को सभी प्रकार के नास्तिकों और उनके प्रियजनों का विश्वासपात्र बनाना; पोप के लिए, जिसके हम जीवन भर के दास हैं, हर श्रेणी में घुसपैठ करना जैसे विद्यालय, विश्वविद्यालय, बैंक कर्मी, अधिवक्ता, व्यवसायी, संसद और विधान सभाओं में, न्याय व्यवस्था में. प्रत्येक व्यक्ति से उस जैसा बन कर व्यवहार करना. अब तक तुम्हें जो निर्देश दिए गए थे वो एक नौसिखिये की भांति अथवा एक नए पादरी के लिए थे और तुम ने एक पादरी की भांति कार्य किया है, लेकिन तुम्हें वो नहीं बताया गया था जो कि पोप की सेवा करने वाली लोयोला की सेना की कमान संभालने के लिए आवश्यक है. तुम्हें अपने सुपीरिअरों के निर्देशानुसार एक यंत्र और जल्लाद की भांति निश्चित समय लगाना पड़ेगा; क्योंकि ये कमान कोई तब तक नहीं संभाल सकता जब तक कि उसने अपने श्रम को नास्तिकों के रक्त से पवित्र न किया हो; क्योंकि बिना रक्त बहाए कोई व्यक्ति बचाया नहीं जा सकता. इसलिए, अपने आप को इस कार्य के योग्य बनाने के लिए और अपने उद्धार के लिए, तुमने जो पोप की आज्ञाकारिता और निष्ठा की शपथ ली है, उसके अतिरिक्त, मेरे पीछे दोहरायोगे:
इसके पश्चात इस समारोह की शपथ उस प्रत्याशी को दिलाई जाती है.

जो सिखाया वही सीखा, जितना सिखाया उतना ही सीखा

शपथ पर अपना ध्यान केन्द्रित करने से पहले एक बार कुछ अवलोकन कर लें और एक  महत्वपूर्ण तथ्य जान लें ताकि शपथ समझ में आ जाए. आज भारत के सभी नागरिक सन १८३५ में स्थापित शिक्षा प्रणाली के उत्पाद हैं. इस प्रणाली का संस्थापक कौन था? मैकॉले नामक एक अँगरेज़. लेकिन वो केवल एक अँगरेज़ नहीं था, एक इसाई भी था. आज हिन्दू समाज की स्थिति क्या है? जो जातिवाद इस समाज के स्थायित्व का मुख्य स्तम्भ था उसे उस का सब से बड़ा दोष बना कर इसी शिक्षा प्रणाली के माध्यम से ध्वस्त किया जा रहा है. राष्ट्र का विभाजन कर के पाकिस्तान बना दिया गया है. इसाई राष्ट्र एक को शस्त्र बेच देते हैं और दूसरे को विवश हो कर लेने पड़ते हैं. इरान और इराक के युद्ध के पीछे किस का हाथ था? अमरीका का अर्थात इसाईओं का. जो अपने आप को बुद्धिजीवी की उपाधि से सम्मानित कर चुके हैं, उन्हें इसी शिक्षा प्रणाली ने एक पाठ पढ़ाया है - एक लीक पर सोचना, जिसे अंग्रेजी में लीनिअर थिंकिंग (linear thinking) कहते हैं. इस का परिणाम है कि हम कभी भी ये नहीं सोचते कि सब छोटे छोटे टुकड़े मिल कर ही पूरा परिदृश्य निर्मित करते हैं. इसाई मिशनरियों का पूरा ढांचा भी सिगरेट निर्माता कंपनियों की भांति कार्य करता है. जो इन का मार्किटिंग डिपार्टमेंट है वो एक ऐसी छवि प्रस्तुत करता है जो कि वास्तविकता की गंदगी को छिपाए रखती है.

I.N.R.I.

क्या आप जानते हैं कि जो इसाई क्रॉस पर शब्द लिखे होते हैं I.N.R.I. उनका क्या अर्थ है?

इनका अर्थ है - इउस्टम नेकर रेगेस इम्पाइयस (IUSTUM NECAR REGES IMPIUS). इस का अंग्रेजी अनुवाद है - It is just to exterminate or annihilate impious or heretical Kings, Governments, or Rulers
ये आज कल न प्रयोग की जाने वाली लैटिन भाषा के शब्द हैं और इन का अर्थ है:
नास्तिक राजाओं, शासकों को समाप्त अथवा नष्ट करना न्याय संगत है. 
यहाँ जिस इम्पियस शब्द का उपयोग किया गया है, उसका अर्थ समझ कर ही इस वाक्य की नीचता स्पष्ट होती है. इस का अर्थ है जो सम्मान नहीं करता. किस का सम्मान? चर्च का.
लेकिन मार्कीटिंग डिपार्टमेंट ने इस वहशी सत्य को छिपाने का एक सुगम हल खोज कर लोगों को मूर्ख बनाने का कार्य शुरू कर दिया है.  उन्होंने एक नया वाक्य जो खोजा है, वो है IESUS NAZARENUS REX IUDAEORUM जिस का अंग्रेजी अनुवाद है  “Jesus of Nazareth, King of the Jews" अर्थात -
नाज़रेथ का जीसस, यहूदियों का राजा
भला हो अमरीकी कांग्रेस का जिस के दस्तावेजों से हम सच्चाई जान पाए हैं.
शपथ पर दृष्टिपात करना है तो पढ़ें जीसस क्राइस्ट की सौगंध - २ 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें