Go ye therefore, and teach all nations, baptizing them in the name of the Father, and of the Son, and of the Holy Ghost.”
- Matthew 28/19
ऊपर दिया वाक्य बाइबल का है और इसका अर्थ है:
जाओ और सभी राष्ट्रों को फादर, पुत्र और पवित्र प्रेत के नाम पर इसाई बना दो.
तीन में एक या एक में तीन
जो लोग इसाई मत के इस सिद्धांत से अनजान हैं, उन्हें संक्षेप में बता दें कि इसाई मत के अनुसार पवित्र प्रेत ने जीसस की माँ मेरी को गर्भवती किया था जब कि उसकी जोसफ नामक व्यक्ति के साथ सगाई हो चुकी थी और इस गर्भधारण से ही जीसस का जन्म हुआ था, इसलिए जीसस को गौड का पुत्र भी कहा जाता है. गौड को पिता भी कहते हैं. इस प्रकार ये तीनों एक ही हैं. और इसाई मत के अनुसार, गौड एक ही है.
सन १८२३ में राम मोहन नामक एक बंगाली व्यक्ति ने इस के संबंध में एक छोटा सा लेख लिखा, जिस का शीर्षक है 'पादरी शिष्य संवाद'. इस में एक पादरी अपने तीन शिष्यों को ये सिद्धांत समझाता है और फिर उनसे पूछता है कि बताओ गौड एक है अथवा अनेक. पहला शिष्य उत्तर देता है कि गौड तीन हैं, दूसरा शिष्य उत्तर देता है कि गौड दो हैं और तीसरा उत्तर देता है कि गौड कोई नहीं है. इस पर पादरी क्रोधित हो जाता है और उनसे अपने उत्तर स्पष्ट करने को कहता है. पहला कहता है
आप ही ने बताया है कि पिता, पुत्र और पवित्र प्रेत, ये तीनों गौड हैं, इसलिए मेरी गणना के अनुसार तो ये तीन गौड हैं.
दूसरे ने कहा,
आप ही ने बताया कि पिता, पुत्र और पवित्र प्रेत, ये तीन गौड हैं और इनमें से एक को किसी पश्चिमी राष्ट्र में मार दिया गया था, इसलिए मेरे अनुसार तो दो ही बच गए.
तीसरे ने कहा,
आप बार बार कहते रहे हैं कि गौड एक है और क्राइस्ट के अतिरिक्त कोई सच्चा गौड नहीं है. लेकिन लगभग १८०० वर्ष पहले क्राइस्ट को अरब सागर के निकट रहने वाले यहूदियों ने मार दिया था. इसलिए मुझे लगा कि अब कोई गौड नहीं है.
टेबल टॉर्चर
अब तक आप समझ गए होंगे कि मिशनरी ऐसे दार्शनिक प्रश्नों के उत्तर तर्क से तो दे नहीं पायेंगे. तो जब भी ऐसी दुविधा अथवा उनके सिद्धांतों में विरोधाभास की स्थिति आती थी, वे उच्च तकनीक का उपयोग कर लेते थे. आइये कुछ उच्च तकनीक के दर्शन कर लें.
अब तक आप समझ गए होंगे कि मिशनरी ऐसे दार्शनिक प्रश्नों के उत्तर तर्क से तो दे नहीं पायेंगे. तो जब भी ऐसी दुविधा अथवा उनके सिद्धांतों में विरोधाभास की स्थिति आती थी, वे उच्च तकनीक का उपयोग कर लेते थे. आइये कुछ उच्च तकनीक के दर्शन कर लें.
ऊपर के चित्र में दोनों व्यक्ति मुस्कुरा रहे हैं क्योंकि ये एक प्रदर्शनी में लगे इस यातना उपकरण को देख रहे हैं. किन्तु जब लेटने वाला कोई मूर्ती पूजा वाला अथवा चर्च के मत से भिन्न मत वाला होता था तो उसके चेहरे पर मुस्कान नहीं होती थी.
जैसा कि आप समझ गए होंगे कि हाथ पाँव बाँधने के पश्चात आप के प्रिय पादरी प्रेम पूर्वक चरखे को घुमाना आरम्भ कर देता था ताकि आप के तर्क का उत्तर दिया जा सके. धीरे धीरे रस्सियों के खिंचाव से आप के शरीर के सारे जोड़ अपने स्थान से खिसकने लग जायेंगे. अब फादर को अपनी बात आप को समझाने में अधिक समय नहीं लगेगा. यही तो टेक्नोलोजी का लाभ है कि श्रम कम करो और परिणाम शीघ्र मिल जाए.
यदि फादर उस दिन आप से अधिक करुणामयी होकर मिलने के इच्छुक हों तो आप को इन गद्देदार कीलों वाले पहियों अर्थात रोलर्स पर भी लिटा सकते हैं.

मूर्ती पूजा करना अथवा जीसस के अतिरिक्त किसी और की अराधना करना, इसाई मत के अनुसार शैतानी मानसिकता है. इसलिए कैसा भी उपाय करना पड़े, शैतानी पद्दतियों और सभ्यताओं का विनाश करना इस मत के अनुसार एक पवित्र कार्य है और इस विनाश के लिए ये मिशनरी जीसस क्राइस्ट की सौगंध खा कर प्रतिबद्ध होते हैं.
साक्षात्कार के लिए कुर्सी (Chair Torture)
साक्षात्कार के लिए कुर्सी (Chair Torture)
इसाई मत के विद्वानों ने, जिन्हें हम मिशनरी अथवा फादर के नाम से पुकारते हैं, इसाई मत के लिए उच्च तकनीक का उपयोग तेरहवीं सदी में ही आरम्भ कर दिया था. वैदिक संस्कृति के ब्राह्मणों ने विश्व को वेद, योग, उपनिषद्, पुराण, अर्थशास्त्र, आयुर्वेद, कृषि व्यवस्था जैसा ज्ञान दिया है और उनकी अपनी जीवन शैली भिक्षुओं की भांति होती थी. ब्राह्मणों की ये जीवन शैली और ज्ञान मिशनरियों के लिए सब से बड़ी बाधा थी इसलिए जब इसाई शिक्षा पद्दति हमारे देश में अपनाई गयी तो मिशनरियों ने अपनी सारी करतूतों को ब्राह्मणों के सर मढना आरम्भ कर दिया. इस शिक्षा के अनुसार इसाई सम्प्रदाय सब को समान दृष्टि से देखता है और ब्राह्मण कुटिल थे और सत्ता के भूखे थे. उन्होंने जन साधारण का शोषण किया और उन पर अत्याचार किये. इसके लिए हिंदी कहावत है - उल्टा चोर कोतवाल को डांटे.

कुछ लोग नाहक ही मिशनरियों को दरिंदा अथवा विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति होने की बात कर देते हैं. ऐसा कुछ नहीं था. वे तो सब के आराम का विशेष ध्यान रखते थे.यदि किसी को लेटने में असुविधा हो तो उस के लिए बैठने का भी उचित प्रबंध किया जाता था. कदाचित मैं बताना भूल गया कि इन सभी आरामदायक उपकरणों पर नग्न कर के ही बैठाया जाता था. वो क्या है कि जब आप ने वस्त्र पहन रखे होंगे तो इन उपकरणों में से निकल रहा गौड का आप के प्रति प्रेम आप को छू नहीं पायेगा. इसे आधुनिक भाषा में 'टच थेरपी' अर्थात छुअन चिकित्सा कहते हैं. यीशु का प्रेम हर स्थान से निकल रहा है, वो लोहा हो अथवा लकड़ी और आप की त्वचा में से होते हुए हड्डियों तक पहुँच जाएगा. क्या पता ह्रदय तक भी पहुँच जाए.
जूडा का पालना (Juda's Cradle)
जूडा का पालना (Juda's Cradle)


लौह कन्या (IRON MAIDEN)
अब लौह कन्या पर भी दृष्टि डाल लें.


इसमें खड़े होने का दंड जिन लोगों को दिया जाता था, वे इस में तीन दिन तक खड़े रखे जाते थे. कील त्वचा को भेद जाते थे किन्तु अंदरूनी अंगों को क्षति नहीं पहुंचाते थे. बंदी इस में जीवित रहता था और उसे कुछ समय के पश्चात निकाल लिया जाता था.
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