मारिया
सन ६२८ में मोहम्मद ने मिस्र के राज्यपाल मौकोकास के पास अपना एक दूत भेजा, जिस का संदेश था कि मौकोकास, जो कि उस समय रोम के सम्राट का प्रतिनिधि था, इस्लाम स्वीकार करले क्योंकि मोहम्मद इस्लाम का पैगम्बर है.
मौकोकास ने गोल मोल सा उत्तर दे कर इनकार कर दिया. उसने उत्तर दिया; -
मुझे ज्ञात है कि एक पैगम्बर आने वाला है किन्तु मेरे मत के अनुसार वो पैगम्बर सीरिया में प्रकट होगा. आप के दूत का भली भांति स्वागत किया गया है और मैं इस के साथ कुछ उपहार भेज रहा हूँ. इन में दो कौप्ट (इसाई) बहनें हैं जिन्हें कौप्ट लोग पसंद करते हैं. एक पोशाक है और आपकी सवारी के लिए एक खच्चर है.
मोहम्मद ने उपहार स्वीकार कर लिया.
दोनों गुलाम बहनें मोहम्मद की इच्छा के अनुरूप थीं. उन में से मारिया जो अधिक आकर्षक थी, मोहम्मद ने अपने लिए रख ली और दूसरी शिरीन, हस्सन नामक कवि को भेंट कर दी. सफ़ेद खच्चर जो अरब में विलक्षण था, मोहम्मद की सवारी के लिए उपयोग में लाया गया.
मोहम्मद की इस उपस्री मारिया से सम्बद्ध एक घटना है, जिस के संबंध में मोहम्मद की जीवन कथा लिखने वाले अधिकतर लेखक चुप्पी साध लेते हैं. यदि कुरान में इस के स्पष्ट प्रमाण नहीं होते तो मैं भी यही करता.
प्रत्येक पत्नी को एक एक दिन
इस घटना को समझने के लिए एक बार पाठकों को बता दूं कि मोहम्मद का अपना कक्ष नहीं था अपितु वो अपनी प्रत्येक पत्नी के कक्ष में एक एक दिन व्यतीत करता था जिस से प्रत्येक पत्नी के साथ वो दिन व्यतीत कर सके.
हफ्सा की अचानक वापसी
एक दिन उसे अपनी पत्नी हफ्सा के साथ व्यतीत करना था. उस दिन जब हफ्सा अपने पिता ओमर के यहाँ गयी हुई थी तो अचानक वापिस आ कर उस ने मोहम्मद को चौंका दिया. जब वो अपने कक्ष में पहुंची तो उस ने मोहम्मद को मारिया के साथ आपत्तिजनक अवस्था में पाया. वो आग बबूला हो गयी और उसने अपने पति को प्रताड़ना दी. मारिया के एक उपस्री होने से हफ्सा को अधिक अपमान प्रतीत हुआ.
मोहम्मद का प्रण
मोहम्मद ने हफ्सा का क्रोध शांत करने के लिए प्रण किया कि वो मारिया को त्याग देगा और हफ्सा से आग्रह किया कि इस घटना का उल्लेख और किसी से न करे. हफ्सा ने इसे नहीं माना और आयशा (मोहम्मद की एक और पत्नी) को इस संबंध में बता दिया. वो भी इस पर क्रोधित हो गयी. शीघ्र ही पूरे हरम में ये बात फ़ैल गयी और मोहम्मद को अपनी पत्नियों से उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ा.
कुरान की नई सुरा (अध्याय)
इस की प्रतिक्रिया के रूप में (जैसा कि ज़ैनब के संबंध में हुआ था) कुरान की नई आयतें मोहम्मद पर प्रकट हुईं. ये आयतें कुरान की सुरा (अध्याय) ६६ में अंकित हैं. इस सुरा में कुल १२ आयतें हैं. सुरा ६६, आयत १:-
يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ لِمَ تُحَرِّمُ مَا أَحَلَّ اللَّـهُ لَكَ ۖ تَبْتَغِي مَرْضَاتَ أَزْوَاجِكَ ۚ وَاللَّـهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
इस का अनुवाद इस प्रकार है:-
ऐ नबी! तुम अपनी पत्नी को प्रसन्न करने के लिए उस वस्तु से स्वयं को क्यों वंचित करते हो जो अल्लाह ने तुम्हारे लिए वैध ठहराई है? अल्लाह क्षमा करने वाला तथा दयालु है.
इसी का एक और अनुवाद है:-
ऐ नबी! जिस चीज़ को अल्लाह ने तुम्हारे लिए वैध ठहराया है उसे तुम अपनी पत्नियों की प्रसन्नता प्राप्त करने के लिए क्यो अवैध करते हो? अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है
अर्थात अल्लाह ने मारिया से संबंध को वैध ठहराया है.
प्रण तोड़ने की आज्ञा
किन्तु मोहम्मद तो प्रण ले चुका था कि मारिया को त्याग देगा. इस का समाधान भी अल्लाह ने अगली आयत से कर दिया. सुरा ६६, आयत २:-
قَدْ فَرَضَ اللَّـهُ لَكُمْ تَحِلَّةَ أَيْمَانِكُمْ ۚ وَاللَّـهُ مَوْلَاكُمْ ۖ وَهُوَ الْعَلِيمُ الْحَكِيمُ
इस का अनुवाद है:-
अल्लाह ने पहले ही तुम्हें अपनी सौगंध तोड़ देने का आदेश कर दिया है. अल्लाह महान है और सब कुछ जानने वाला समझदार है.
एक अन्य अनुवाद है:-
अल्लाह ने तुम लोगों के लिए तुम्हारी अपनी क़समों की पाबंदी से निकलने का उपाय निश्चित कर दिया है। अल्लाह तुम्हारा संरक्षक है और वही सर्वज्ञ, अत्यन्त तत्वदर्शी है
आयेशा को सूचना
अगली आयत से ऐसा प्रतीत होता है कि हफ्सा ने इस घटना को गोपनीय रखना स्वीकार कर लिया था किन्तु फिर भी आयेशा को बता दिया. सुरा ६६, आयत ३:
وَإِذْ أَسَرَّ النَّبِيُّ إِلَىٰ بَعْضِ أَزْوَاجِهِ حَدِيثًا فَلَمَّا نَبَّأَتْ بِهِ وَأَظْهَرَهُ اللَّـهُ عَلَيْهِ عَرَّفَ بَعْضَهُ وَأَعْرَضَ عَن بَعْضٍ ۖ فَلَمَّا نَبَّأَهَا بِهِ قَالَتْ مَنْ أَنبَأَكَ هَـٰذَا ۖ قَالَ نَبَّأَنِيَ الْعَلِيمُ الْخَبِيرُ
हिंदी अनुवाद:-
और जब पैग़म्बर ने अपनी बाज़ बीवी (हफ़सा) से चुपके से कोई बात कही फिर जब उसने (बावजूद मुमानियत) उस बात की (आयशा को) ख़बर दे दी और ख़ुदा ने इस अम्र को रसूल पर ज़ाहिर कर दिया तो रसूल ने (आयशा को) बाज़ बात (किस्सा मारिया) जता दी और बाज़ बात (किस्साए यहद) टाल दी ग़रज़ जब रसूल ने इस वाक़िये (हफ़सा के आयशाए राज़) कि उस (आयशा) को ख़बर दी तो हैरत से बोल उठीं आपको इस बात (आयशाए राज़) की किसने ख़बर दी रसूल ने कहा मुझे बड़े वाक़िफ़कार ख़बरदार (ख़ुदा) ने बता दिया
एक अन्य अनुवाद:-
जब नबी ने अपनी पत्ऩियों में से किसी से एक गोपनीय बात कही, फिर जब उसने उसकी ख़बर कर दी और अल्लाह ने उसे उसपर ज़ाहिर कर दिया, तो उसने उसे किसी हद तक बता दिया और किसी हद तक टाल गया। फिर जब उसने उसकी उसे ख़बर की तो वह बोली, "आपको इसकी ख़बर किसने दी?" उसने कहा, "मुझे उसने ख़बर दी जो सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है।"
अर्थात उस की पत्नियां क्या वार्तालाप करती थीं, अल्लाह मोहम्मद को बता देता था.
मोहम्मद की शक्ति
अगली सुरा में मोहम्मद की स्थिति का उल्लेख है. सुरा ६६, आयत ४:-
إِن تَتُوبَا إِلَى اللَّـهِ فَقَدْ صَغَتْ قُلُوبُكُمَا ۖ وَإِن تَظَاهَرَا عَلَيْهِ فَإِنَّ اللَّـهَ هُوَ مَوْلَاهُ وَجِبْرِيلُ وَصَالِحُ الْمُؤْمِنِينَ ۖ وَالْمَلَائِكَةُ بَعْدَ ذَٰلِكَ ظَهِيرٌ
इसका हिंदी अनुवाद:
(तो ऐ हफ़सा व आयशा) अगर तुम दोनों (इस हरकत से) तौबा करो तो ख़ैर क्योंकि तुम दोनों के दिल टेढ़े हैं और अगर तुम दोनों रसूल की मुख़ालेफ़त में एक दूसरे की अयानत करती रहोगी तो कुछ परवा नहीं (क्यों कि) ख़ुदा और जिबरील और तमाम ईमानदारों में नेक शख़्श उनके मददगार हैं और उनके अलावा कुल फरिश्ते मददगार हैं
इसी का एक अन्य अनुवाद:
यदि तुम दोनों अल्लाह की ओर रुजू हो तो तुम्हारे दिल तो झुक ही चुके हैं, किन्तु यदि तुम उसके विरुद्ध एक-दूसरे की सहायता करोगी तो अल्लाह उसकी संरक्षक है, और जिबरील और नेक ईमानवाले भी, और इसके बाद फ़रिश्ते भी उसके सहायक है
इस्लाम के मान्यता के अनुसार, जिब्रिल नामक फ़रिश्ता (जो बाइबल में गैब्रील के नाम से वर्णित है), केवल मोहम्मद को दिखाई और सुनाई देता था. जिब्रिल ही मोहम्मद को अल्लाह की वाणी अर्थात कुरान सुनाता था और मोहम्मद वो संदेश लोगों को सुनाता था. इस आयत में इसी जिब्रिल का उल्लेख है. ये आयत मोहम्मद की पत्नियों को बताती है कि अल्लाह, फ़रिश्ते और मुसलमान मोहम्मद के साथ हैं.
तलाक़ का परिणाम
अगली आयत हफ्सा और आयेशा को बताती है कि यदि मोहम्मद ने उन्हें तलाक़ दे दिया तो क्या होगा. सुरा ६६, आयत ५:-
عَسَىٰ رَبُّهُ إِن طَلَّقَكُنَّ أَن يُبْدِلَهُ أَزْوَاجًا خَيْرًا مِّنكُنَّ مُسْلِمَاتٍ مُّؤْمِنَاتٍ قَانِتَاتٍ تَائِبَاتٍ عَابِدَاتٍ سَائِحَاتٍ ثَيِّبَاتٍ وَأَبْكَارًا
हिंदी अनुवाद:
इसकी बहुत सम्भावना है कि यदि वह तुम्हें तलाक़ दे दे तो उसका रब तुम्हारे बदले में तुमसे अच्छी पत्ऩियाँ उसे प्रदान करे - मुस्लिम, ईमानवाली, आज्ञाकारिणी, तौबा करनेवाली, इबादत करनेवाली, (अल्लाह के मार्ग में) सफ़र करनेवाली, विवाहिता और कुँवारियाँ भी
इसी आयत का एक और अनुवाद इस प्रकार है:
अगर रसूल तुम लोगों को तलाक़ दे दे तो अनक़रीब ही उनका परवरदिगार तुम्हारे बदले उनको तुमसे अच्छी बीवियाँ अता करे जो फ़रमाबरदार ईमानदार ख़ुदा रसूल की मुतीय (गुनाहों से) तौबा करने वालियाँ इबादत गुज़ार रोज़ा रखने वालियाँ ब्याही हुई और बिन ब्याही कुंवारियाँ हो
अर्थात अल्लाह मियां की रहमत से मोहम्मद को आज्ञाकारी और कुंवारी नयी पत्नियां मिल जायेंगी.
अगली चार आयतें काफिरों से जिहाद के लिए उकसाती हैं, यहाँ घटनाक्रम को निरंतर रखने के लिए उनका उल्लेख नहीं किया जा रहा है.
अवज्ञाकारी पत्नियों के लिए जहन्नुम की आग
जो मोहम्मद की आज्ञा नहीं मानते वो काफिर हैं और यदि आज्ञा न मानी जाए तो क्या पत्नियों का क्या होगा इसका वर्णन हैं सुरा ६६, आयत १० में:-
ضَرَبَ اللَّـهُ مَثَلًا لِّلَّذِينَ كَفَرُوا امْرَأَتَ نُوحٍ وَامْرَأَتَ لُوطٍ ۖ كَانَتَا تَحْتَ عَبْدَيْنِ مِنْ عِبَادِنَا صَالِحَيْنِ فَخَانَتَاهُمَا فَلَمْ يُغْنِيَا عَنْهُمَا مِنَ اللَّـهِ شَيْئًا وَقِيلَ ادْخُلَا النَّارَ مَعَ الدَّاخِلِينَ
हिंदी अनुवाद:
ख़ुदा ने काफिरों (की इबरत) के वास्ते नूह की बीवी (वाएला) और लूत की बीवी (वाहेला) की मसल बयान की है कि ये दोनो हमारे बन्दों के तसर्रुफ़ थीं तो दोनों ने अपने शौहरों से दगा की तो उनके शौहर ख़ुदा के मुक़ाबले में उनके कुछ भी काम न आए और उनको हुक्म दिया गया कि और जाने वालों के साथ जहन्नुम में तुम दोनों भी दाखिल हो जाओ
दूसरा अनुवाद:
अल्लाह ने इनकार करनेवालों के लिए नूह की स्त्री और लूत की स्त्री की मिसाल पेश की है। वे हमारे बन्दों में से दो नेक बन्दों के अधीन थीं। किन्तु उन दोनों स्त्रियों ने उनसे विश्वासघात किया तो अल्लाह के मुक़ाबले में उनके कुछ काम न आ सके और कह दिया गया, "प्रवेश करनेवालों के साथ दोनों आग में प्रविष्ट हो जाओ।"
अर्थात अल्लाह ने उन पत्नियों के लिए जहन्नुम की आग रखी है जो पति का कहा नहीं मानती. उदाहरण के रूप में दो महिलाओं नूह और लूत का नाम है. ये दोनों नेक पुरुषों की पत्नियाँ थीं किन्तु उस से विश्वासघात का कारण जहन्नुम की आग में डाल दी गयी थीं. उल्लेखनीय है कि ये दोनों पात्र भी बाइबल के नोआह (NOAH) और लौट (LOT) हैं.
मारिया के साथ एक पूरा माह
इस घटना के पश्चात मोहम्मद अपनी पत्नियों के कक्ष छोड़ कर मारिया के साथ रहने चला गया क्योंकि अल्लाह ने उसे आज्ञा दे दी थी और उस के प्रण से भी मुक्त कर दिया था.
मोहम्मद द्वारा पत्नियों को क्षमादान
इस घटना की दोनों मुख्य पात्र, हफ्सा एवं आयेशा, मोहम्मद के निकटतम सहयोगी ओमर और अबू बकर की बेटियाँ थीं. ये दोनों मित्र इस घटनाक्रम से परेशान थे क्योंकि मोहम्मद ने उनकी बेटियों से एक उपस्री को अधिक महत्त्व दे दिया था. ये दोनों मोहम्मद के पास मंत्रणा करने गए तो मोहम्मद ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया. उसके अनुसार जिब्रिल ने उसे हफ्सा की प्रशंसा की थी और अपनी पत्नियों के पास लौटने को कहा था. तत्पश्चात मारिया का निवास पत्नियों से भिन्न स्थान पर किया गया. मारिया ने मोहम्मद के एक बेटे इब्राहिम को जन्म दिया था जो अल्पायु में ही रोग से मर गया था.
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