बिल्ली का पंजा (Cat's Paw)
कहते हैं कि जीसस का दायाँ हाथ दया और क्षमा का चिन्ह है और बायाँ हाथ न्याय का. इन्कुइसिशन के समय नास्तिकों को छूने के लिए जीसस के प्रतिनिधि पोप ने और उजले चोगे वाले फादर लोग दया और क्षमा की प्रतिमूर्ति बन जाते होंगे. इस पवित्र कार्य के लिए वो जिस उपकरण की सहायता लेते थे, इस का एक नाम टिक्लर (tickler) अर्थात गुदगुदाने वाला भी रखा था.
ब्रेस्ट रिप्पर (Breast Ripper)
इन्कुइसिशन में प्रयोग किया जाने वाला ये उपकरण केवल महिलायों पर ही प्रयुक्त होता था. जैसा कि इसका नाम है, ये नास्तिक महिलायों अथवा नु महिलायों पर प्रयोग होता था जिन्हें डायन घोषित कर दिया जाता था. अधिकतम धातु से बने उपकरणों को आग में तपा कर प्रयोग किया जाता था.
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यहाँ ब्रेस्ट रिप्पर के साथ जो छोटा उपकरण रखा है वो पुरुषों पर प्रयोग किया जाता था. इस का नाम है टेस्टिकल रिप्पर (Testicle Ripper), अर्थात इसे पुरुषों के अंडकोष चीरने के लिए प्रयोग किया जाता था. |
लौह मकड़ा अर्थात आयरन स्पाईडर (Spider)
इस उपकरण का चित्र अभी नहीं मिल पाया है लेकिन इस की व्याख्या हमें कई लेखकों से मिलती है और यहाँ जो रेखा चित्र दिखाया गया है, ये लार्नल इंगरसोल नामक एक अमरीकी ने बनाया था जब वो इन उपकरणों को देख कर आया था. ये चित्र १८८० के लगभग बनाया गया था.
ये लोहे का बना था और जो ऊपर मध्य में छल्ला है, उसे हल्का सा झटका देने पर लोहे के नोकीले दांत एक शिकंजे की भांति कास जाते थे. इनका उपयोग स्त्रियों के स्तनों पर किया जाता था. एक अन्य उल्लेख के अनुसार, बीच वाला छल्ला, एक रस्सी के द्वारा छत से लटका होता था. स्तनों को भेदने के उपरान्त रस्सी से इसे ऊपर खींचा जाता था.
पियर (Pear)
पियर को हिंदी में नाशपाती कहते हैं. ये नाम इसे संभवतः इस के आकार के कारण दिया गया है. इसके ऊपर जो छल्ला दिख रहा है, वो एक पेच से जुड़ा है और उस पेच के साथ जुड़ा है एक स्प्रिंग, जो छल्ले को घुमाने से धीरे धीरे पियर को खोलना आरम्भ कर देता है. ये उन उपकरणों में से है जिस में नोक अथवा कीलें नहीं लगी हैं. लेकिन जिस के लिए इस का उपयोग किया जाता था, उसके लिए कीलों की आवश्यकता ही नहीं थी.
इसे बंद अवस्था में अभागे नास्तिक के मुंह में अथवा गुदा द्वार में और महिलायों के लिए, उनके गुप्तांग में डाल दिया जाता था और फिर यातना के लिए धीरे धीरे छल्ला घुमा कर खोला जाता था.
कल्पना कर के देखिये कि उन अभागी महिलाओं के किस स्तर तक मानसिक और शारीरिक यातना का अनुभव होता होगा. और ये सब वहशी यातनाएं धर्म जैसे पवित्र शब्द की आध में दी जाती थीं. यही लोग आज हमारे देश में सिखाते हैं कि हमारे पूर्वज भेद भाव करते थे.
पियर पर कलाकारी भी की जाती थी. |
मैं अपनी अधूरी जानकारी के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ. ये लेख पूरा करने के उपरान्त मुझे एक और पियर की जानकारी मिली है, जिसका चित्र नीचे दिखा रहा हूँ. पियर में नोक नहीं होती, मैं ये शब्द वापिस ले रहा हूँ.
द्वारपाल की बेटी (Janitor's daughter or Sweeper's daughter)
एक बात की प्रशंसा करनी होगी इन फादर लोग की. उपकरण कितने भी वहशी हों, नाम विनोदी प्रवृति के रखते थे. किसी मिशनरी से मिलिए और उसे कहिये कि हिन्दू गंगा में स्नान करके ऐसा मानते हैं कि पाप धूल जाते हैं. अब प्रतिक्रिया देखी क्या होगी. शब्दों का लम्बा चौड़ा जाल बुना जाएगा और उसका अर्थ होगा कि पाप तो तभी धुलेंगे जब आप द ओनली गौड जीसस क्राइस्ट की शरण में आयेंगे क्योंकि उसने आज से २००० वर्ष पहले समस्त मानव जाति के पापों का प्रायश्चित करने के लिए अपनी जान दी थी. यदि आप ने इस बेतुके मत का तर्क बताने को कहा तो एक नया शब्द जाल बुना जाएगा, जिसका परिणाम होगा कि तर्क कोई नहीं है. यदि आप दो सदियाँ पहले ये प्रश्न पूछते तो आप को मनुष्यता के गिरने की सीमा का पता लगता.