[८:१] नीरज अत्री
ऐ नबी लोग तुमसे युद्ध लूट (अन्फाल) के संबंध में प्रश्न पूछते हैं. उनसे कह दो "युद्ध लूट अल्लाह और उसके रुसूल की हैं". इसलिए अल्लाह से डरो और आपस के भेद भाव सुलझा लो. अल्लाह और उसके रुसूल का कहा मानो यदि तुम मुसलमान हो तो.
[८:२] नीरज अत्री
मुसलमान तो केवल वही हैं जिनके सामने अल्लाह का नाम लेने पर उन के ह्रदय में भय उत्पान हो जाए और जब उसकी (कुरान की) आयतें उनके सामने पढ़ी जाएँ तो उनका ईमान और बढ़ जाए: और वे अल्लाह पर विश्वास करते हों.
[८:३] नीरज अत्री
जो अस्सलात (नमाज़) करते हैं और जो हमने उन्हें प्रदान किया उसमें से व्यय करते हैं
[८:४] नीरज अत्री
वही हैं जो वास्तविक मुसलमान हैं और उन के लिए अल्लाह की ओर से उच्च श्रेणी है, क्षमा है और एक उत्तम आजीविका (जन्नत) है.
[८:५] नीरज अत्री
जब तुम्हारे रब ने तुम्हें अपने घर से निकलने को प्रेरित किया तो मोम्मिनों (मुसलामानों) के एक गिरोह को ये उचित नहीं लगा.
[८:६] नीरज अत्री
और तुम से उस सत्य के विषय में विवाद करने लगे जो प्रकट हो चुका था जैसे कि वो साक्षात मृत्यु की ओर धकेले जा रहे हों.
[८:७] नीरज अत्री
और (स्मरण करो) जब अल्लाह ने तुम से (शत्रुओं के) दो गुटों में से एक (अर्थात सशस्त्र सेना अथवा व्यापारियों का गुट अर्थात कारवां) तुम्हें मिलने का वचन दिया तो तुम्हारी इच्छा थी कि जो निःशस्त्र है वो तुम्हे मिले किन्तु अल्लाह चाहता था कि उसके शब्दों से सत्य स्थापित हो और काफिरों की जड़ें ही कट जाएँ (बद्र के झगड़े में)
[८:८] नीरज अत्री
ताकि सत्य की विजय हो और असत्य नष्ट हो जाए भले ही मुजरिम लोग (नास्तिक, एक से अधिक देवी देवताओं को पूजने वाले, अपराधी, पापी) इस से घृणा करें.
[८:९] नीरज अत्री
जिस समय तुम रब से सहायता की प्रार्थना कर रहे थे और उसने तुम्हारी सुन ली. उस ने उत्तर दिया,"मैं हज़ारों फ़रिश्ते, एक के पीछे एक, भेज कर तुम्हारी सहायता करूंगा."
[८:१०] नीरज अत्री
अल्लाह ने ये तुम्हे शुभ समाचार देने और तुम्हारे ह्रदय को संतुष्ट करने के लिए किया था. सहायता अल्लाह के अतिरिक्त कोई नहीं करता. अल्लाह अज़ीज़ हाकिम है.
[८:११] नीरज अत्री
स्मरण करो जब उसने तुम्हारी सुरक्षा के लिए तुम्हें आलस्य से धक् दिया और शैतान द्वारा तुम्हें दिए गए रिज्ज़ (दुष्ट विचार) से पवित्र करने के लिए आकाश से जल (वर्षा) भेज दिया ताकि तुम्हारे ह्रदय में शक्ति आये और तुम्हारे पाँव दृढ़ता से जम जाएँ.
[८:१२] नीरज अत्री
जिस समय तुम्हारा रब फरिश्तों को प्रोत्साहित कर रहा था ये कहते हुए,"मैं तुम्हारे साथ हूँ, मुसलामानों को जमाये रखो. मैं काफिरों में तुम्हारा आतंक स्थापित कर दूंगा. इसलिए उनकी गर्दनों पर मारो और उनकी अँगुलियों और पंजों तथा पोरों पर चोट करो".
[८:१३] नीरज अत्री
ये इसलिए है क्योंकि उन्होंने अल्लाह और उसके रुसूल का कहा नहीं माना है. और जो भी अल्लाह तथा उसके रुसूल को अनसुना करता है, अल्लाह उन्हें कठोर यातना (अज़ाब) देता है.
[८:१४] नीरज अत्री
यकीनन काफिरों के लिए तो आग की यातना है, इसलिए लो इसका मज़ा चखो.
[८:१५] नीरज अत्री ऐ ईमान वालो! जब तुम्हारा काफिरों से जंग में सामना हो तो पीठ मत फेरो.
[८:१६] नीरज अत्री
और जो भी उस दिन, जंग की चाल या अपने साथियों की टुकड़ी के पास जाने के अलावा, ऐसा करेगा, उस पर अल्लाह की लानत है और उसका ठिकाना जहन्नुम ही है, जो कि एक बुरा ठिकाना है.
[८:१७] नीरज अत्री
उनकी हत्या तुम ने नहीं की बल्कि अल्लाह ने की है और उन पर जो (कंकड़ और रेत) फेंका वो तुमने नहीं फेंका बल्कि अल्लाह ने फेंका है ताकि वो मुसलामानों की परीक्षा ले सके. अल्लाह सब सुनने वाला और आलिम है.
[८:१८] नीरज अत्री
और ये जान लो कि अल्लाह काफिरों की चाल को कमज़ोर करने वाला है.
[८:१९] नीरज अत्री
ऐ काफ़िरो अगर तुम फैसले की बात करते हो तो फैसला तुम्हारइ सामने आ चुका है. अब अगर तुम ने वही हरकत दुबारा की तो हम पलट आयेंगे और तुम्हारा लश्कर कितना भी विशाल हो, तुम्हारे काम न आएगा क्योंकि अल्लाह तो मुसलामानों के ही साथ है.
[८:२०] नीरज अत्री
ऐ मुसलामानों! अल्लाह और उसके रुसूल का कहा मानो और उस से मुंह न फेरो यदि तुम सुन रहे हो तो.
[८:२१] नीरज अत्री
और उन लोगों की भांति मत हो जाना जो कहते तो हैं कि हम ने सुन लिया किन्तु सुनते नहीं हैं.
[८:२२] नीरज अत्री
और यकीनन अल्लाह के लिए सबसे नीच प्राणी वही हैं जो गूंगे और बहरे हैं क्योंकि वो समझते नहीं (अर्थात काफिर)
[८:२३] नीरज अत्री
यदि अल्लाह को उन में तनिक भी गुण देखता तो उन्हें सुनने की योग्यता प्रदान कर देता, किन्तु ये तो ऐसे हैं कि सत्य सुनने के उपरान्त भी मुख फेर लेते.
[८:२४] नीरज अत्री
ऐ ईमान वालो! अल्लाह और उस के रुसूल के द्वारा जब तुम्हें उस कार्य के लिए पुकारा जाए जो तुम्हें जीवन प्रदान करेगी तो उसे मानो. और स्मरण रहे कि अल्लाह व्यक्ति और उसके ह्रदय के बीच आ जाता है (ताकि दुष्ट व्यक्ति निर्णय न ले सके). अंततः तुम्हें (सब को) उसी के समक्ष आना होगा.
[८:२५] नीरज अत्री
और उस फितने (यातना और परिक्षण) से भयभीत रहो जो केवल बुरा करने वालों को ही सताता बल्कि सभी तो कष्ट देता है. ध्यान रहे कि अल्लाह कठोर यातना देने वाला है.
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