गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

मेमने को उसकी माँ के दूध में मत पकाओ:गौड

पश्चिम के विख्यात मनोचिकित्सक सिगमंड फ्रौय्ड के अनुसार बाइबल में जिस गौड का वर्णन है, वो ऐसे लोगों के लिए उपयुक्त है जो की किसी नए क्षेत्र में बसना चाहते हैं. 

जब ये विश्व विख्यात मनोचिकित्सक लगभग ८० वर्ष का परिपक्व वैज्ञानिक था, उसने बाइबल पर एक पुस्तक लिखी थी 'मोसिस एंड मोनोथीइस्म' अर्थात 'मूसा और एक ईश्वरवाद'. इस में उसने बताया की मूसा एक मिस्रवासी था और उसके जीवन काल में, मिस्र में, हीथनों (हीथनों के सम्बन्ध में जानने के लिए यहाँ देखें) तथा अन्यों में एक संघर्ष चल रहा था. हीथान पक्ष अधिक प्रभावी था, इसलिए मूसा अपने कुछ सहयोगियों के संग उनसे बंधन मुक्त हो कर भाग निकला और उसने गौड के विचार को एक स्वरुप प्रदान किया. अर्थात, कथित रूप से, गौड, मूसा की कल्पना शक्ति का परिणाम है. 

प्रस्तुत लेख में बाइबल में वर्णित एक्सोड्स नामक पुस्तक के अध्याय ३४ का अनुवाद है.
  1. लॉर्ड ने मूसा से कहा, " पहले की ही भाँती, पत्थर की दो पट्टिकाएं बना कर लाओ, मैं उनपर वो शब्द लिख दूंगा जो पहले पर लिखे थे और जो तुमने तोड़ दिया.
  2. कल उषा काल में सिनाई पर्वत पर आ कर पर्वत की छोटी पर मेरे समक्ष उपस्थित होना.
  3. तुम्हारे साथ कोई और नहीं होना चाहिए और न ही कोई पर्वत पर दिखना चाहिए; पर्वत के निकट कोई झुण्ड चरने भी नहीं आना चाहिए.
  4. मूसा ने लॉर्ड के कहे अनुसार, दो पत्थरों की पट्टिकाएं बनाई, जैसी उसने पहले भी बनाई थीं और अगले दिन सूर्योदय के समय सिनाई पर्वत पर चला गया.
  5. वहाँ लॉर्ड एक बादल पर सवार हो कर आया और उसने अपना नाम 'लॉर्ड' पुकारा.
  6.  और वो ये कहते हुए मूसा के आगे से निकला,
    लॉर्ड, दया तथा क्षमा का गौड, मुझे क्रोध धीरे आता है, असीम प्रेम तथा करुना से भरा हूँ.
  7. मैं सैंकड़ों पीढ़ियों पर प्रेम बरसाता हूँ, मैं पाप, विद्रोह तथा अन्याय को क्षमा कर देता हूँ किन्तु अपराध को क्षमा नहीं करता. अपराध करने वालों की संतानों को, और यहाँ तक उनकी तीसरी चौथी पीढ़ियों तक मैं क्षमा नहीं करता. 
  8. मूसा ने शीघ्रता से स्वयम को भूमि पर गिरा कर प्रार्थना आरम्भ कर दी
  9. लॉर्ड, यदि आप की मुझ पर कृपा दृष्टि है, तो हमारे साथ चलिए. निःसंदेह ये हठी तथा घमंडी लोग हैं, हमारे पापों को क्षमा कर दीजिये, और हमें अपनी शरण में ले लीजिये.
  10. इस पर लॉर्ड ने कहा:
    मैं तुम्हारे साथ एक संधि कर रहा हूँ. तुम्हारे सभी लोगों के समक्ष मैं ऐसे चमत्कार करूँगा जो कभी कहीं नहीं किये गए हैं. जिन लोगों में तुम रहते हो, वो देखेंगे कि मैं, तुम्हारा लॉर्ड, तुम्हारे लिए कितने अद्भुत कार्य करूँगा. 
  11. आज जो मैं तुम्हें निर्देश दे रहा हूँ, उन्हें ध्यान से सुनो और पालन करो. मैं तुम से आगे चल कर अमोरियों, कनानियों, हित्तितेयों, जेबुसियों (हीथनों) को खदेड़ दूंगा.
  12. इस बात का ध्यान रहे कि जिस प्रदेश में तुम जा रहे हो, वहाँ रहने वालों से किसी प्रकार की संधि न कर लेना क्योंकि वो तुम्हें जकड़ने के लिए एक जाल का कार्य करेगी.
  13.  उनकी पवित्र वेदियाँ तोड़ दो, उनके पवित्र पत्थरों के टुकड़े कर दो और उनके अशेराह स्तम्भ (अशेराह स्तंभ की जानकारी के लिए यहाँ देखें) काट डालो.
  14. किसी और इश्वर की पूजा न करो, क्योंकि लॉर्ड, जिसका नाम ही इर्ष्या है, एक ईर्ष्यालु गौड है. (गौड की मूर्तियों के प्रति ये इर्ष्या बाइबल में अनेकों स्थान पर देखने को मिलती है)
  15. इस का ध्यान रहे की जो उस प्रदेश में रहते हैं उनसे कोई संधि - समझौता नहीं करना है; क्योंकि जब वो अपने भगवान् के प्रति वेश्यावृति करेंगे और अर्पण करेंगे तो तुम्हें भी इसके लिए आमंत्रित करेंगे.
  16. और जब तुम उनकी बेटियों को अपने बेटों के लिए चुनोगे तो वो बेटियाँ जब अपने गौड के प्रति वेश्यावृति करेंगी तो वो तुम्हारे बेटों को भी, मेरे विरुद्ध, यही करने के लिए प्रेरित करेंगी.
  17.  तुम अपने लिए कभी कोई मूर्ती का निर्माण नहीं करोगे.
  18.  तुम फीकी ब्रेड का पर्व पासओवर  मनाओगे. सात दिन तक मेरे निर्देशानुसार तुम फीकी ब्रेड खाओगे. ये तुम्हें प्रत्येक वर्ष अबिब के माह में करना है, क्योंकि इस माह तुम मिस्र से बाहर आये थे.
  19.  प्रत्येक गर्भ से उत्पन्न प्रथम पुलिंग मेरे लिए है, वो गाय, भेद, बकरी अथवा तुम्हारा कोई भी पशु हो सकता है.
  20. अपने गधे के प्रथम बच्चे को तुम एक मेमना दे कर छुड़ा सकते हो, किन्तु यदि ऐसा नहीं करते तो उसकी गर्दन तोड़ दो. अपने प्रथम पुत्र को मुक्त कराने के लिए अवश्य कुछ धन दो. मेरे समक्ष कोई भी भेंट लाये बिना (रिक्त हाथ) न आये.  
  21. छः दिन तुम कार्य करोगे किन्तु सातवें दिवस तुम विश्राम करोगे; यहाँ तक कि जब फसल काटने तथा बोने के दिनों में भी.
  22. तुम पहली फसल तथा वर्ष की अंतिम फसल का पर्व अवश्य मनाओगे.
  23. वर्ष में तीन बार, तुम्हारे सभी पुरुषों को सर्वशक्तिशाली लॉर्ड, इस्राइल के गौड के समक्ष उपस्थित होना है.
  24. क्योंकि मैं तुम्हारे से पूर्व के राष्ट्रों को निकाल बाहर करूँगा और तुम्हारे क्षेत्र का विस्तार कर दूंगा, और कोई भी तुम्हारी भूमि पर अधिकार करने की चेष्टा नहीं करेगा यदि तुम तीन बार मेरे समक्ष उपस्थित हो जाओगे.
  25. मुझे किसी बलि का रक्त देते समय कोई ऐसी वस्तु जिस में खमीर लगा हो, नहीं अर्पित करोगे, और तुम्हारे पर्व का कोई मांस अगले दिन तक नहीं बचना चाहिए.
  26. जब तुम अपनी फसल काटो तो प्रथम फसल का उत्तम भाग अपने लॉर्ड गौड को दो. "मेमने को उसकी माँ के दूध में मत पकाओ."
  27. इसके पश्चात लॉर्ड ने मूसा से कहा, 
    ये शब्द लिख लो, क्योंकि इन्हीं के अनुसार मैंने तुमसे तथा इस्राइल से संधि की है.
  28. मूसा वहाँ लॉर्ड के साथ ४० दिन तक रहा और इस समय में उसने कोई अन्न जल ग्रहण नहीं किया. उसने पट्टिकाओं पर ये संधि अंकित की - जो दस निर्देश थे.
  29. जब वो सिनाई पर्वत से, दोनों पट्टिकाओं को लेकर उतरा, तो उसे ज्ञात नहीं था कि उसके मुख पर तेज है, क्योंकि वो लॉर्ड से मिल कर आया है.
  30. जब आरों तथा अन्य इसराइलियों ने मूसा को देखा तो उसके तेजवान मुख को देख कर वो उसके समीप जाने से भयभीत होने लगे.
  31. किन्तु मूसा ने उन्हें बुलाया और उनसे वार्तालाप किया.
  32. सभी इस्राइली उसके निकट आ गए और उसने उन्हें लॉर्ड के निर्देशों से अवगत करवाया जो उसे सिनाई पर्वत पर मिले थे.
  33. जब उसने ये वार्तालाप समाप्त किया तो उसने अपने मुख पर एक आवरण कर लिया.
  34. जब भी वो लॉर्ड से वार्तालाप करने के लिए जाता तो वो इस आवरण को हटा देता, जैसे ही बाहर आता, वस्त्र के आवरण से अपने को ढक लेता.
  35. इस्राइल वासी उसके मुख के तेज दो देखते और वो अपने मुख को आवरण से ढक लेता.
फ्रौय्ड का ये आकलन कितना तर्कसंगत है, ये हम पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं. 
ये वो नियम हैं, जिन्हें मूसा के नियम भी कहा जाता है. यदि आप ये तथ्य किसी मिशनरी को दिखा कर उनके मुख से आवरण हटाने का प्रयत्न करेंगे तो उनके पास दो रणनीतियाँ हैं. पहले तो वो कहेंगे कि ये बाइबल का 'ओल्ड टेस्टामेंट' है, अर्थात गोल मोल करके ये जताने का प्रयास करेंगे कि मानो वर्तमान में इसाई इसे नकार चुके हैं और इसी लिए ईसाईयों और यहूदियों में मतभेद है. ये रणनीति भारत में इसलिए कारगर है क्योंकि यहाँ लोग दोनों से ही अनजान हैं और मीडिया सत्य उजागर नहीं करता. वास्तविकता ये है कि इसाइयत में पूरी बाइबल को स्वीकार किया जाता है.

विज्ञान एवं शिक्षा के साथ साथ आज, अपने जन्मस्थान यूरोप में चर्चों में उपस्थिति ५% से भी कम रह गयी है. किन्तु भारत का दुर्भाग्य है की यहाँ मिशनरी विद्यालय एवं चर्च, अशिक्षित जन समुदाय को भ्रमित कर के उनके मतान्तार्ण में लगे हुए हैं. 

करें भी क्यों न? इस प्रकार उन्हें विदेशों से करोड़ों डॉलर तो मिलते ही हैं, साथ में सम्मान भी मिलता है.

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