जब भी समाचार पत्रों में किसी पादरी द्वारा किये गए यौन उत्पीड़न कि घटना उजागर होती है, तो उसे एक अपवाद कह कर दबा दिया जाता है और आधुनिक युग के उन्मुक्त वातावरण को भी इस का दोषी घोषित कर दिया जाता है. इस लेख में आप जानेंगे कि न तो इसाई पादरियों द्वारा यौन उत्पीड़न कोई अपवाद है और न ही इस का आधुनिकता से कोई संबंध है. इस लेख में दी गयी जानकारी एन्थोनी गैविंस नामक एक कैथोलिक पादरी द्वारा लिखी गयी पुस्तक ' ए की तो पोपरी' पर आधारित है.
इस पुस्तक में लेखक ने अपने जीवन काल की घटनाओं का वर्णन किया है और अन्य पादरियों के आचरण की व्याख्या की है.
ये पुस्तक उसने तत्कालीन वेल्स की राजकुमारी को समर्पित की है और इसके लिए चर्च के सुरक्षित प्रपत्रों का उल्लेख किया है.
कौन्फैशन
हिंदी फिल्म 'आखिरी रास्ता' में अमिताभ बच्चन ने डेविड नामक एक इसाई की भूमिका निभाई थी, जिसमें वो अपनी पत्नी की हत्या करने वाले तीन व्यक्तियों की हत्या करता है. ये हत्याएं करने से पूर्व वो एक चर्च में जा कर एक पादरी के समक्ष स्वीकार करता है कि वो तीन व्यक्तियों की हत्या करने वाला है. पादरी पुलिस को सूचना देता है किन्तु क्योंकि पादरी ने डेविड को देखा नहीं था, इसलिए वो पुलिस की अधिक सहायता नहीं कर पाता.
ये दृश्य आप को बताने के पीछे मेरे दो उद्देश्य हैं. एक तो ये बताना कि इसाई मत में इस प्रकार की स्वीकृति को कौन्फैशन कहते हैं हालांकि ये स्वीकृति अथवा कौन्फैशन कोई चर्च के विरुद्ध कार्य करने के पश्चात की जाति है. दूसरा ये बताना कि कौन्फैशन के समय पादरियों को पीड़ित की व्यक्तिगत जानकारी नहीं लेनी होती है. किन्तु यदि हम फिल्मों को छोड़ दें तो इस लेख को पढ़ कर आप जान जायेंगे कि ऐसे आदर्श पादरी विरले ही मिलते हैं.
पादरी जब प्रश्न पूछते हैं तो वो मर्यादा का सम्मान नहीं करते, इसका एक उदाहरण मैंने पुर्तगाल के नगर लिस्बन में देखा था. एक दास वर्ष की बच्ची ने चर्च से आ कर अपनी माँ से पूछा कि डिफ्लावर का अर्थ क्या होता है, क्योंकि उस से चर्च के फादर ने पूछा था कि क्या उसे डिफ्लावर किया गया है.
जो पाठक इस शब्द डिफ्लावर से अनभिज्ञ हैं, उनकी सूचना के लिए बता दूं कि जब कोई कन्या अपना कौमार्य खोटी है अर्थात सम्भोग कर लेती है तो उसे कहते हैं कन्या को डिफ्लावर करना. अब आप कल्पना कीजिये कि उस 'होली फादर' की मानसिकता कैसी होगी जो कि एक दास वर्षीया अबोध बच्ची से इस प्रकार के प्रश्न पूछ रहा है.
मेरी की गाथा
एक अन्य वर्णन के लिए एंथोनी गेविन पीड़िता की पहचान को छिपाने के लिए उसका नाम मेरी रख कर बताते हुए कहते हैं कि इस महिला की कन्फैशन एक सामान्य प्रकार की कन्फैशन है.
प्रश्न: आज के कन्फैशन से पूर्व तुमने कब कन्फैशन किया था?
मेरी: दो वर्ष और दो माह पूर्व.
प्रश्न: क्या तुम्हें 'होली मदर चर्च' के निर्देशों का ज्ञान है?
उत्तर: हाँ है.
प्रश्न: बताओ क्या निर्देश हैं?
मेरी: 'होली मदर चर्च' के पांच निर्देश हैं. १. प्रत्येक रविवार तथा अन्य छुट्टी के दिन मॉस (इसाई मत का व्याख्यान) सुनना. २. प्रत्येक वर्ष में कम से कम एक बार और यदि आपात स्थिति हो तो अधिक बार कन्फैशन करना. ३. इसाई पर्व मनाना. ४. उपवास करना. ५. चर्च को धन देना.
प्रश्न: अब सातों सैक्रामेंट (इसाई मत के रीति और रस्में) बताओ?
मेरी: १. बैपतिस्म २. कन्फर्मेशन ३. कन्फैशन ४. लॉर्ड्स सपर ५. होली ऑर्डर ६. एक्सट्रीम अन्क्षण ७. मैट्रीमोनी
प्रश्न: अब अपने उत्तर के अनुसार दूसरे निर्देश और तीसरे सैक्रामेंट पर ध्यान दो तो तुम्हें प्रत्येक वर्ष कन्फैशन करना होता है किन्तु तुम ने इतने लंबे समय तक 'होली मदर चर्च' के निर्देश का उल्लंघन किया है. ऐसा क्यों?
मेरी: मैं एक ऐसी युवती हूँ जिसने कई बुरे कार्य किये हैं, मुझे भय था कि यदि मैंने अपने प्रदेश के पादरी से इन का कन्फैशन किया तो मेरा और मेरे घराने के कई सदस्यों का नाम कुख्यात हो जाएगा.
प्रश्न: क्या तुम्हें ज्ञात है कि यदि कोई एक वर्ष तक कन्फैशन नहीं करता तो चर्च तथा उस क्षेत्र का मिनिस्टर (पादरी) ये तथ्य सभी को बताने के लिए बाध्य है?
मेरी: मुझे इस का ज्ञान है, इसलिए मैं कुछ समय के लिए बाहर चली गयी थी. वहाँ के पादरी से मैंने कह दिया था कि मैंने अपने नगर में कन्फैशन कर लिया है और अपने क्षेत्र के पादरी को मैंने कह दिया था कि मैंने गाँव में कन्फैशन कर लिया था. इस प्रकार मैं चर्च द्वारा कुख्यात होने से बच गयी.
प्रश्न: अच्छा अब ये बताओ कि आज तुम चर्च द्वारा निर्धारित समय से अतिरिक्त समय में कन्फैशन के लिए क्यों आई हो ? इस का कारण श्रद्धा है अथवा सांसारिक सुख?
मेरी: गत दो वर्ष तक मैं एक पुरुष के साथ रह रही थी जिसने मुझ से विवाह करने का वचन किया था. वो दो माह पूर्व मर गया है. इसलिए मैंने निर्णय किया है कि मैं अपना शेष जीवन पवित्रता से व्यतीत करूंगी.
प्रश्न: अभी तुम उस पुरुष की मृत्यु से दुखी हो, इसलिए संभव है कि तुम्हारा ये पश्चाताप अपने बुरे कर्मों के कारण न हो कर, दुःख के कारण हो. कहीं ऐसा न हो कि जैसे ही तुम इस दुःख से उभारो, तुम्हें लगे कि तुम ने उचित निर्णय नहीं लिया इसलिए शीघ्रता से निर्णय मत लो. इसलिए मेरी मंत्रणा है कि तुम इस संबंध में और विचार कर लो.
मेरी: फादर, मैंने अपने पापों का कन्फैशन करने का निर्णय कर लिया है. मैं इस पर दृढ संकल्प हूँ और मेरी इच्छा है कि मैं अपने सारे पाप स्वीकार करने के पश्चात, पश्चाताप कर के एक नया जीवन जी सकूं.
फादर: यदि ऐसा है तो गौड के नाम से अपना कन्फैशन दो. मैं चाहता हूँ कि तुम बिना लज्जा के अपने बुरे कर्मों और उनके परिस्थितियों का वर्णन करो ताकि तुम्हारे मन को शान्ति मिले.
मेरी: सर्वप्रथम तो मैं ये सीकार करना चाहती हूँ कि मैं डोन फ्रांसिस्को नामक व्यक्ति के साथ दो वर्ष तक अनैतिक रूप से शारीरिक संबंध बनाती रही हूँ. और इस संबंध के कारण मुझ से और कई दुष्कर्म हुए हैं.
फादर: क्या उसने तुम से विवाह करने का प्रण गंभीरता से किया था?
मेरी: हाँ, किन्तु वो अपने पिता के जीते जी ऐसा नहीं कर सका.
फादर: आरम्भ से ले कर उसकी मृत्यु तक मुझे सब बताओ कि इस काल में तुम्हारे विचार, व्यवहार और इस से सम्बंधित तुम्हारे स्वप्न कि प्रकार के थे?
मेरी: हम दोनों पड़ोसी थे और इस कारण हम एक दूसरे से जितना चाहते वार्तालाप कर सकते थे. वो एक सभ्रांत परिवार से था. इस आकर्षण ने धीरे धीरे प्रेम का रूप ले लिया और एक दिन जब हम दोनों के घरों के सदस्य बाहर गए थे तो उसने मेरे प्रति अपने प्रेम को स्वीकार कर लिया और इसके उपरान्त हम पति पत्नी की भांति रहने लगे. यहीं से मेरे जीवन में दुष्कर्मों का आरम्भ हुआ.
फादर: वो तुम से किस समय मिलता था?
मेरी: पहले वर्ष तो, हमारे घर के सदस्यों के सो जाने के पश्चात, वो प्रत्येक रात को मेरे कमरे में आता था. मेरा अनुसरण कर के मेरी नौकरानी, जिसे मैंने अपने इस सम्बब्ध में बताया था, उस पुरुष के नौकर के साथ यही करने लगी. इसलिए मुझे लगता है कि उसके इस दुष्कर्म के लिए भी मैं ही उत्तरदायी हूँ.
फादर: क्या तुम्हारे इस संबंध का किसी को पता लगा?
मेरी: अवश्य पता लग जाता यदि मैंने अपनी अमानवीय चिकित्सा न करवा ली होती.
(यहाँ चिकित्सा का अर्थ है गर्भपात, जो कि एक रसायन खाने से हो जाता है)
फादर: तुम्हें ये चिकित्सा किस प्रकार प्राप्त हो गयी जब कि इस के विरुद्ध तो कठोर नियम हैं?
मेरी: ये चिकित्सा प्राप्त करने के लिए मुझे और अधिक पाप करने पड़े थे. मेरा एक 'कज़न' (सगे भाई बहन के अतिरिक्त सभी भाई बहनों अर्थात चचेरे, मौसेरे, ममेरे भाई बहन को कज़न कहा जाता है) जो कि एक फ्राइयर (friar) है सदा मेरा बहुत सम्मान करता रहा है, एक दिन भोजन के पश्चात, मुझ से लव करने लगा और अश्लील बर्ताव करने लग गया. मैंने उस से कहा कि यदि वो मेरा एक कार्य कर देगा तो मैं उसकी इच्छा पूर्ण कर दूँगी. उसने मुझे कहा कि वो एक प्रीस्ट (इसाई संत) के वचन पर विश्वास कर सकती है. मैंने उसे अपने गर्भवती होनी की बात बताई तो वो अगले दिन मेरे लिए एक औषधि ले आया जिस से मेरी समस्या का निदान हो गया.
फ्राइयर - शब्दकोष के अनुसार फ्राइयर शब्द इसाई मत के विभिन्न गुटों में से चार गुटों (कार्मल, औगास्तिन, डोमिनिक, फ्रांसिसकन) के उन पुरुषों के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्हें पादरी के रूप में नियुक्त किया जाता है.
मुझ पर ये उपकार करने के पश्चात मेरे इस कज़न प्रीस्ट ने मेरा भोग किया. उसके कहने पर मैंने उस के कई मित्रों को भी अपना भोग करने दिया. इतना ही नहीं उसने मेरी नौकरानी को भी अपनी वासना के लिए उपयोग किया. मेरी एक सखी को भी उसने उपयोग किया और जब वो गर्भवती हो गयी तो मैंने उसे भी वही औषधि दी जिस का उपयोग मैंने किया था. इसके अतिरिक्त, मेरा कज़न मुझ से धन की मांग करता था, जो मैंने अपने माता पिता से चुरा कर अपने कज़न को दिया.
फादर: अच्छा इन दिनों में तुम्हारा मित्र डोन फ्रांसिस्को तुम्हें मिलता था?
मेरी: दूसरे वर्ष वो मुझ से कम ही मिल पाता था क्योंकि हमें न तो घर पर और न ही बाहर मिलने का अवसर प्राप्त हो रहा था. नगर के बाहर, हम ने एक हर्मिट को धन दे कर उसकी चेपल में मिलने की अनुमति ले ली जहां हम ने ७-८ बार सहवास किया.
हर्मिट - शब्दकोष के अनुसार इसाई मत में इस शब्द का प्रयोग उनके लिए किया जाता है जो कि अपनी आत्मा को पवित्र करने के लिए एकाकी जीवन शैली अपनाते हैं. फादर, फ्राइयर और हर्मिट, कितने भले लोग हैं ये सब. है ना?
चेपल - एक ऐसा भवन जिसे इसाई मत के लोग गौड की अराधना के लिए प्रयोग करते हैं.
अब तनिक पुनरावलोकन करते हैं. एक प्रीस्ट जो कि महिला का कज़न भी है, गर्भपात के लिए औषधि ला कर देता है. इस उपकार के लिए वो अपनी कज़न के साथ सम्भोग करता है और अपने साथियों को भी करवाता है. अपनी कज़न की नौकरानी का भी शारीरिक शोषण करता है और कज़न की सखी का भी. ये तो किसी महान पुरुष का चरित्र प्रतीत होता है.
तन के साथ साथ ये प्रीस्ट धन का भी लोभी है और अपनी कज़न को इतना विवश करता है कि उसे अपने घर में चोरी करनी पड़े. ये प्रीस्ट भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध का भी दोषी है.
एक हर्मिट भी है जो इतना दयावान है कि धन के लोभ में एक जोड़े को चर्च में सहवास करने देता है.
यदि आप एक हिन्दू हैं और तथाकथित बुद्धिजीवी हैं तो अभी भी आप सोच रहे होंगे कि ये सच नहीं हो सकता. है ना? ये दोष आपका नहीं है, आप इसाई सम्प्रदाय द्वारा स्थापित शिक्षा नीति की उपज हैं. भले ही आप के पास अपने नाम के पीछे लगाने के लिए लम्बी लम्बी डिग्रियां हों, किन्तु आप की सोच को कुंठित कर दिया है इस शिक्षा नीति ने. सत्य जानने के लिए और उसे आत्मसात करने के लिए आवश्यक है कि जो आप को मिशनरी विद्यालयों में पढ़ाया गया है, उसे त्यागने का प्रयास करें.
अरे हाँ! मैंने बताया नहीं कि मेरी की इस कन्फैशन के सन्दर्भ में एंथोनी गैविंस ने क्या उल्लेख किया था. उन की टिपण्णी है कि ये कन्फैशन एक साधारण कन्फैशन है. अर्थात इस में कुछ अनूठा नहीं है.
चलिए आगे देखते हैं कि मेरी क्या बताती है. मेरी के अनुसार:
चोरी के संबंध में मैं जो पहले कह चुकी हूँ, उस से अधिक कुछ नहीं कहना. अपने कज़न के लोभ को शांत करने के लिए और इस भय से कि कहीं वो मेरा रहस्य उजागर न कर दे, मैंने अपने पिता के यहाँ से बहुत सी वस्तुएं चोरी कीं और अपनी मित्र को भी ऐसा ही करने को प्रेरित किया.
फादर: क्या तुम भविष्य में भी उसी प्रकार से अपने कज़न के साथ रहोगी जैसा कि अब तक करती आई हो?
मेरी: नहीं. मेरे कज़न को दिव्य ज्ञान का शिक्षक बना कर किसी अन्य कॉन्वेंट में तीन वर्ष के लिए स्थानांतरित कर दिया गया है.
तो ये प्रीस्ट, एक अन्य कॉन्वेंट में जाएगा और वहाँ क्या पढ़ायेगा. दिव्य ज्ञान. ऐसे उच्च स्तरीय ब्रह्मचारी को तो अवश्य दिव्य ज्ञान प्राप्त होगा.
यदि आप ये सोच रहे हैं कि उसका कज़न अधिक से अधिक उसे चरित्रहीन होने का आरोप ही लगा सकता था तो आप से विनम्र निवेदन है कि इन्कुइसिशन के संबंध में अपना ज्ञान बढ़ा लें.
यदि ये लेख आप को रुचिकर लगा तो पढ़ें होली प्रीस्ट द्वारा ब्लैकमेल.
हर प्रकार के तथ्य सामने आने चाहिए. स्वागत.
जवाब देंहटाएंसदाबहार देव आनंद
इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंभारतीय ब्लॉग लेखक मंच"की तरफ से आप को तथा आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामना. यहाँ भी आयें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो फालोवर अवश्य बने .साथ ही अपने सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ
जवाब देंहटाएंहमारा पता है ...........www.upkhabar.in