गुरुवार, 10 फ़रवरी 2011

एक नन का कन्फैशन

मैं नन बनना चाहती हूँ.
ये उत्तर दिया था मेरी एक छात्रा ने. उस दिन मैं अपने सभी विद्यार्थियों से पूछ रहा था कि उनके जीवन का लक्ष्य क्या है. ये उत्तर सुन कर मैं अवाक रह गया. अब तक मैंने निर्धनों, मूर्खों, आदिवासियों के संबंध में सुना था कि किस प्रकार मिशनरी उन्हें प्रलोभन दे कर अथवा धोखे से इसाई बना रहे थे. किन्तु चंडीगढ़ जैसे नगर में और एक सभ्रांत चार की बच्ची से मुझे इस की अपेक्षा नहीं थी. कदाचित मैंने मिशनरियों की बढती शक्ति को कम कर के आँका था. थोड़ा पूछने पर पता लगा कि वो एक मिशनरी विद्यालय में पढ़ती है, जिसे सोनिया गाँधी (Antonia Maino) के निकट माने जाने वाला इसाई दम्पति चलाता है. कुछ लड़कियों को बाइबल का पाठ भी पढ़ाया जाता है. ये छात्र अपने बसते में एक छोटी बाइबल ले कर चलती थी. इस बाइबल की विशेषता ये थी कि इस में बड़ी चतुराई से वो अंश हटा दिए गए थे जो मूर्ती पूजा के प्रति घृणा का उल्लेख करते हैं. इस बाइबल में से तो क्राइस्ट का प्रेम छलक रहा था.

जब उसे बाइबल का उचित रूप दिखाया गया तो उसे आभास हुआ कि उसे किस प्रकार मूर्ख बनाया जा रहा था. वो अभागियाँ जो मिशनरी जाल से नहीं बच पाती, क्या करती होंगी अथवा क्या नहीं कर पाती होंगी, इस सन्दर्भ में एंथोनी गैविंस की पुस्तक 'ए की तो पोपरी' में एक कन्फैशन का उल्लेख है. इस कन्फैशन से पूर्व नन के कन्फैशन की व्यवस्था को समझ लें.

इसाइयत में कन्फैशन सुनने का अधिकार केवल पुरुषों को ही है. प्रत्येक कॉन्वेंट के बगल में एक कन्फैशन करवाने वाला फादर तथा उसका एक सहयोगी फादर निवास करते हैं. सांझी दीवार में एक जालीदार झरोखे से कोई भी नन कन्फैशन कर सकती है.

बहुत से लोग अपनी बच्चियों को नन बनने के लिए जब छोड़ कर जाते हैं तो इन बच्चियों की आयु पांच से आठ वर्ष की होती है. पन्द्रहवां वर्ष एक परीक्षा का वर्ष माना जाता है, जिसमें यदि ये बच्चियां चाहें तो नन बनने का विचार त्याग कर अपने प्रियजनों के पास लौट सकती हैं. यदि वे नहीं लौटती तो उन्हें नन बना दिया जाता है, जिसके नियमों के अनुसार उन्हें आजीवन ब्रह्मचारिणी रहना होता है. कॉन्वेंट की प्रधान अध्यापिका और अन्य वरिष्ठ महिलायें प्रारम्भिक वर्षों में उन्हें कोई कठिन कार्य नहीं देती क्योंकि इस से उनके कॉन्वेंट को छोड़ कर जाने का अंदेशा होता है. और न ही उस जालीदार झरोखे के पास जाने देती है. इन बच्चियों को ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन भर ऐसा ही सरल रहेगा.

जब वो पंद्रह वर्ष की होती हैं तो वो नन का सरल जीवन, आजीवन ब्रह्मचर्य और निर्धनता की शपथ ले लेती हैं. इस पर इन्हें विधिवत नन घोषित कर दिया जाता है. एक बार जब वो अपनी स्वीकृति दे देती हैं तो उन्हें सभी प्रकार के कार्य सौंपे जाते हैं.

सप्ताह में एक निश्चित दिन ननरी (ननों के रहने का स्थान) की सभी ननों को कन्फैशन करना होता है. ननों की अधिक संख्या होने के कारण चर्च से कई फादर कन्फैशन सुनने के लिए भेजे जाते हैं जो इन जालीदार झरोखों से कन्फैशन सुनते हैं.

जब वो पंद्रह वर्ष की होने और परीक्षा में सफल होने का पश्चात कन्फैशन करने के लिए प्रीस्टों और फादर से बात करने जाती हैं, जो ऐसे आते हैं मानों अपनी प्रेयसी से मिलने आये हों, तब इन लड़कियों को आभास होता है कि उनके साथ तो धोखा हुआ है. वो इस पर दुखी होती हैं परन्तु उनके पास इस का कोई उपाय नहीं होता. अपनी उत्तेजनाओं को तृप्त करने के लिए वो हर प्रकार के अशोभनीय कार्य करने को आतुर हो जाती हैं. 

किसी व्यक्ति विशेष से आकर्षण हो जाने पर उस से प्रति दिन कन्फैशन होने लग जाते हैं. ऐसे फादर को ये नन अपना देवोतो अथवा आत्मिक पति कह कर पुकारती हैं. अँधेरा होते ही देवोतो तो चले जाते हैं, नन अपने कक्ष में आ कर उसके लिए पत्र लिखती है. ये पत्र पति पत्नी की अंतरंगता की सीमा से भी परे होते हैं.
आइये अब देखते हैं इस नन का कन्फैशन

नन: फादर मेरे पाप इतने अधिक हैं कि उन्हें भूल जाने के भय से मैंने उन्हें लिख दिया है. आप कृपा कर के इन्हें पढ़ लें.
फादर: मैं इन्हें पढ़ तो सकता हूँ किन्तु जब तक तुम अपने मुख से नहीं बोलोगी, तब तक ये कन्फैशन नहीं माना जाएगा.
नन: जब मैं १३ वर्ष की थी तो एक युवक से मुझे प्रेम हो गया था. उसने मुझे एक पत्र लिखा जो मेरे पिता के हाथ लग गया. मेरे पिता ने उसे अपने पास बुलाया और उसे कहा कि वो सेना में भारती हो जाए और दो वर्ष तक प्रतीक्षा करे. तब तक मैं विवाह योग्य हो जाउंगी और दोनों का विवाह हो जाएगा. उस युवक ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और अगले ही दिन वो सेना में सम्मिलित हो कर कैतालोनिया चला गया. मेरे पिता ने मुझे यहाँ भेज दिया और मुख्य अध्यापिका को निर्देश दिया कि मुझे और किसी से ना मिलने दिया जाए. मेरे पिता ने ये भी बताया कि उस युवक की युद्ध में मृत्यु हो गयी है. इस समाचार के पश्चात मैं जितने पाप कर सकती थी मैंने किये हैं. मुझे नन बनने की प्रतिज्ञ किये दस माह ही हुए हैं किन्तु क्योंकि मेरी ऐसी कोई इच्छा नहीं थी, इसलिए मैं गौड के प्रति अपने को नन नहीं मानती हूँ. यही विचार बहुत सी अन्य ननों का भी है, विशेषकर मेरे जैसी दस युवा ननों का जो मेरी अन्तरंग मित्र हैं और हम परस्पर सभी बातें सांझा करते हैं. हम सब का अपना देवोतो है और प्रतिदिन हम उनसे वार्तालाप करते हैं.
फादर: अपने मित्रों के पाप छिपा कर केवल अपने पाप बताओ.
नन: मेरे और मेरी मित्रों के पाप आपस में मिले हुए हैं, इसलिए मात्र अपने पाप बतान संभव नहीं है. मैं आपको अपना सबसे बड़ा अपराध बताती हूँ. हमारी एक मित्र का देवोतो अत्यंत आकर्षक युवा फादर है. हमने परस्पर योजना बनाई और उसे २२ दिन तक अपने कक्ष में ला कर रखा. इस समय में हम बहुत कम समय के लिए झरोखे पर जाते थे. हम पर किसी को संदेह नहीं हुआ. ये मेरा सब से बड़ा अपराध है.
फादर: किन्तु तुम उसे अपने कॉन्वेंट में कैसे ले गए?
नन: हम में से एक ने अपने कक्ष की भूमि पर कालीन बिछाने के लिए मंगवाया. उस फादर ने अपने अधिकारियों से एक माह की छुट्टी ले ली थी. उसने स्वयं को कालीन में लपेट कर छिपा लिया. कुली उसे उठा कर हमारे द्वार तक ले आये और हम उसे अपने कक्ष में ले गए. 


हमें भय था कि कहीं कुली हमारा भेद न खोल दें, इसलिए हमने उनसे छुटकारा पाने के लिए कुछ गुंडों को पैसे दिए ताकि उन्हें ठिकाने लगाया जा सके.

फादर को बाहर पहुंचाने के लिए हम ने उसे एक ऐसे संदूक में बंद कर दिया जो भीतर से भी खुल सकता था. ये संदूक हमने नौकरों की सहायता से बाहर के कक्ष में पहुंचा दिया और उसे किसी कार्य के लिए वहाँ से भेज दिया. इतने में वो फादर संदूक में से निकल कर सुरक्षित निकल गया.

इसके एक माह पश्चात हमारी तीन मित्रों को जब आभास हुआ कि वे गर्भवती हैं, तो वो एक ही रात में कॉन्वेंट से चली गयीं. इस घटना की नगर में चर्चा होती रही है. मैं भी यही करने वाली हूँ क्योंकि यदि मैं यहाँ रही तो मेरा पेट इस भेद को खोल देगा. इस से होने वाले बच्चे की जान तो बच जायेगी किन्तु नियमों के अनुसार, मेरी जान एक यातनापूर्ण ढंग से ले ली जाएगी.
इतना ही नहीं, कॉन्वेंट और मेरे प्रियजनों को भी असुविधा का सामना करना पड़ेगा. दूसरी ओर यदि मैं रात को निकल जाती हूँ तो मैं दोनों जीवन बचा लूंगी और कहीं दूर जा कर रह लूंगी. 

यदि मैं यहीं रहती हूँ तो मैं एक कठिन चिकित्सा से अपना जीवन बचाने के लिए दृढ प्रतिज्ञ हूँ. इसके लिए मुझे आपकी मंत्रणा और सहायता दोनों की आवश्यकता है. 

फादर: मुझे न तो इतनी कठिन परिस्थितियों का अनुभव है और न ही ज्ञान. तुम्हें किसी अनुभवी और विरद्ध कन्फैशन सुनने वाले की आवश्यकता है जो तुम्हारी समस्या का समाधान कर सके. 
नन: फादर, मैं किसी और कन्फैशन सुनने वाले को अपनी आप बीती नहीं सुनाउंगी. आप ही बताएं कि मेरी किस प्रकार सहायता करेंगे.
फादर: मेरी अनुभवहीनता, मुझे इस में पाप का भागी नहीं बना सकती. मैं तुम्हें बता चुका हूँ कि मुझे इस की कोई जानकारी नहीं है.
नन: मैं हर प्रकार की परिस्थिति के लिए तत्पर हूँ. यदि आप ने मेरी सहायता नहीं की तो मैं चिल्ला कर कहूँगी कि तुम कन्फैशन के माध्यम से मुझे तंग करते रहे हो. तुम्हें इन्कुइसिशन के लिए जाना पड़ेगा.
फादर: धैर्य रखो, मुझे तीन दिन का समय दो. मैं मंत्रणा करके तुम्हें इस का हल बताऊंगा.

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